लालू दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं, जेडीयू के एक एमएलसी, 2022 में एडजस्ट करने की गुहार।
पटना : कुछ ही वक्त हुआ जब एक एमएलसी पुराना घर छोड़कर नीतीश की पार्टी में आये थे। अब फिर पुराने घर में लौटने के लिए बेकरार हैं। एमएलसी साहब लगातार दिल्ली में पुराने साहब से संपर्क साधने में लगे हैं। गलती मानने से लेकर दुबारा धोखा न देने की कसमें भी खा रहे हैं। सब इसलिए कि 2022 में पुराने साहब फिर से एडजस्ट कर दें। सत्ता के गलियारे में एमएलसी साहब के कारनामे की चर्चा आम है।
दरअसल डेढ साल हुए जब राजद के पांच विधान पार्षदों ने लालू प्रसाद यादव औऱ पार्टी को गच्चा दे दिया था। वे सब रातो रात जेडीयू में शामिल हो गये थे। तब सत्ता के गलियारे में सबसे ज्यादा हैरानी दो विधान पार्षदों को लेकर हुई थी। दोनों विधान पार्षदों को लालू यादव ने सारे समीकरण और संबंधों को दरकिनार कर मौका दिया था। लेकिन उस वक्त जेडीयू का ऑफर औऱ सत्ता का लोभ लालू के भरोसे और संबंधों पर भारी पड़ा था लिहाजा पाला बदलने में देर नहीं की।
सत्ता के गलियारे में जो चर्चा हो रही है उसके मुताबिक लालू यादव का भरोसा तोड कर पाला बदलने वाले एक एमएलसी का दिल जेडीयू में आने के बाद चकनाचूर हो गया। उन्हें मंत्री बनाने का आश्वासन दिया गया था लेकिन कुर्सी नहीं मिली। बाद में भरोसा दिलाया गया कि विधान सभा की सीट दे दी जायेगी। लेकिन 2020 के चुनाव में विधानसभा का टिकट भी नहीं मिला। आलम ये है कि नये घर में बड़े साहब से बात करने के लिए भी तरसना पड रहा है।
लालू दरबार में हाजिरी लगा रहे जेडीयू के एमएलसी के लिए सबसे बड़ी आफत तीन महीने बाद आने वाली है। दरअसल उनका कार्यकाल 2022 में समाप्त हो रहा है। 2022 के फरवरी-मार्च में विधानसभा कोटे से विधान पार्षदों का चुनाव होना है। कुल 7 सीटों पर चुनाव होना है और इसमें एनडीए के खाते में 4 सीटें आयेंगी। विधानसभा में जो विधायकों की संख्या है उसमें जेडीयू को 1 सीट मिल सकती है। बीजेपी अगर बहुत खुश हुई तभी दूसरी सीट जेडीयू को गिफ्ट कर सकती है। हालांकि इसके आसार कम ही हैं क्योंकि इस चुनाव में मुकेश सहनी को भी फिर से विधान परिषद भेजना है। ऐसे 2022 के विधान परिषद चुनाव में बीजेपी सिर्फ एक सीट पर लड़े और जेडीयू को दो सीटें दे दे, ऐसा होना बेहद मुश्किल लगता है।विधान परिषद चुनाव को लेकर इन्हीं समीकरणों ने जेडीयू के एक एमएलसी को बेचैन कर रखा है। वे जानते हैं कि एक सीट नहीं बल्कि दूसरी सीट भी जेडीयू को मिल जाये तब भी उनका एडजस्टमेंट मुश्किल है। दरअसल एमएलसी साहब जिस वर्ग से आते हैं। उस वर्ग से एक एमएलसी इसी साल राज्यपाल कोटे से मनोनीत हो चुके हैं। राज्यसभा चुनाव में भी इस वर्ग को मौका मिल चुका है. ऐसे में 2022 माकूल नजर नहीं आता। मुश्किल सिर्फ इतनी ही नहीं है। जेडीयू के एमएलसी साहब जिन नेता जी के जरिये पाला बदल कर आये थे वहां से भी उम्मीदें टूटती नजर आ रही है।नीतीश के बाद जेडीयू के सबसे कद्दावर नेताजी ने एमएलसी साहब के वर्ग के ही एक दूसरे नेता को हद से ज्यादा करीब रख लिया है। चर्चा ये भी है कि अगर उसी वर्ग से किसी को एमएलसी बनने का मौका मिलेगा तो पहली पसंद तो वो नेता होंगे जो आलाकमान के ज्यादा करीबी बन चुके हैं।
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव दिल्ली में हैं। उनके एक नजदीकी व्यक्ति ने बताया कि पिछले दो-तीन महीने में जेडीयू के एक एमएलसी कम से कम चार दफे लालू प्रसाद यादव से मिलने पहुंच चुके हैं। उनका फोन कॉल तो हर दूसरे-तीसरे दिन आता है। पुरानी गलती के लिए माफी से लेकर दुबारा गलती न करने का भरोसा दिलाने के लिए पुराने संबंधों और हिसाब किताब का भी हवाला दिया जा रहा है। हालांकि लालू यादव पिघल नहीं रहे हैं। वे एमएलसी साहब की बात तो सुन रहे हैं लेकिन अपनी ओर से कोई जवाब नहीं दे रहे हैं। वैसे भी राजद के ज्यादातर फैसले अब तेजस्वी प्रसाद यादव ले रहे हैं। तेजस्वी धोखा देकर गये किसी व्यक्ति को फिर से मौका नहीं देंगे ये सर्वविदित है। वैसे भी जिस पैमाने पर 2016 में एमएलसी साहब विधान परिषद पहुंच गये थे। उस पैमाने पर खरा उतरने वाले ढेरो लोग लालू और तेजस्वी के सामने लाइन लगा कर खड़े हैं। हालांकि तेजस्वी यादव पुराने पैमाने के बजाय सियासी समीकरणों को नाप तौल कर ही अब किसी को विधान परिषद या राज्यसभा भेजने का फैसला ले चुके हैं। लिहाजा जेडीयू के एमएलसी साहब का भविष्य अधर में लटका है। दिलचस्प बात ये है कि उनकी लालू दरबार में हाजिरी लगाने की खबर भी कई लोगों ने राजा के दरबार में पहुंचा दिया है।